Friday, March 17, 2017

रिजेक्शन

दिलकश स्टाइल में
बाँध-गूँथ कर
महकते फूलों के
गुलदस्ते बेचते
माली की टोकरी में
बचे पड़े फूलों से पूछो-
क्या होता है
"रिजेक्शन" का दर्द !

बड़े से शो-रूम में
फोकस लाइटों के बीच
'न्यू अराइवल' के डिस्पले तले
करीने से हैंगर में इठलाती
खूबसूरत ड्रेस को
बड़े चाव और पसंद से
उठा लेने के बाद
प्राइज टैग
साइज़ की फिटिंग
या फिर
और बेहतरीन की चाहत में
गूचड़-माचड़ कर
स्टैंड या टोकरी में
वापस फेंक दिए जाने पर
उस ड्रेस से पूछना-
क्या होता है
"रिजेक्शन" का दर्द !

रूप, गुण, पसंद और
ट्रेण्ड के बावजूद
नकारे जाने की पीड़ा
नकारने वाला शायद ही
कभी समझ पाता हो ।।।

2 comments:

Onkar said...

सही कहा

सु-मन (Suman Kapoor) said...

बहुत सुंदर