मनोज अबोध
क्या बताऊँ कि मेरे साथ वो क्या-क्या चाहे ..... वो न तितली न वो जुगनू न ही तारा चाहे........
Wednesday, February 26, 2014
एक दोहा
एक दोहा आपकी नज्र है--------------
जब तक हमसे काम था, रहे तभी तक साथ ।
जीवन में हमने जिए, ऐसे ही हालात ।।
दोस्तों के लिए एक दोहा-------------------
ना पाती ना तुम मिले, गए बहुत दिन बीत ।
जीवन कारावास सा, बिना तुम्हारे मीत ।।
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