रूकती हुई सॉंसों में कुछ सॉंस मिला जाओ । अहसास के पंछी को थपकी दे सुला जाओ । उम्मीद की राहों में यादों का उजाला है.. अश्कों की गुज़ारिश है- इकबार तो आ जाओ ।
वीणा से जुदा होकर संगीत नहीं लौटा ।
अधरों से क्या बिछुड़ा, फिर गीत नहीं लौटा ।
‘जल्दी लौटूंगा’ ये वादा भी छलावा था
बॉंहों से बिछुड़कर फिर वो मीत नहीं लौटा ।